सिंधु घाटी सभ्यता के धर्म, समाज, और अर्थव्यवस्था की गहरी जानकारी (Religion, Society, and Economy)

sindhu ghati sabhyata ka dharm
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सिंधु घाटी सभ्यता धर्म, समाज, और अर्थव्यवस्था (Religion, Society, and Economy)

सिंधु घाटी सभ्यता के धर्म, समाज, और अर्थव्यवस्था ने इसे एक संगठित और उन्नत सभ्यता के रूप में स्थापित किया। यहां इसके विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है।



पूजा की जाने वाली मूर्तियां: पशुपति, मातृ देवी

सिंधु घाटी सभ्यता के लोग धार्मिक थे और प्रकृति उर्वरता की पूजा करते थे।

  • पशुपति को शिव का प्रारंभिक रूप माना जाता था।
  • मातृ देवी उर्वरता की प्रतीक थीं और उनकी पूजा प्रमुख रूप से की जाती थी।
  • इन देवताओं की मूर्तियां और प्रतीक सिंधु सभ्यता के स्थलों पर पाए गए हैं।


खेती: गेहूं, जौ, कपास

सिंधु घाटी सभ्यता में कृषि जीवन का मुख्य आधार था।

  • यहां के लोग गेहूं और जौ जैसे अनाज उगाते थे।
  • कपास की खेती सबसे पहले इसी सभ्यता में हुई थी, जो इसे विश्व में अद्वितीय बनाती है।
  • खेती के लिए सिंचाई व्यवस्था में वर्षा जल और नदियों का उपयोग होता था।


व्यापार: मुद्राएं, जलमार्ग

व्यापार सिंधु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा था।

  • व्यापार में मुद्राओं का उपयोग किया जाता था, जिन पर विभिन्न प्रतीक अंकित होते थे।
  • जलमार्गों के माध्यम से नदी और समुद्री व्यापार किया जाता था।
  • व्यापारिक वस्तुओं में मनके, आभूषण, और कपड़ा प्रमुख थे।


उद्योग: मिट्टी के बर्तन, कपड़ा, आभूषण

सिंधु घाटी सभ्यता में उद्योग और कारीगरी भी विकसित थी।

  • मिट्टी के बर्तन सुंदर और मजबूत बनाए जाते थे।
  • कपास से कपड़ा बुनाई की कला उन्नत थी।
  • सोने, चांदी, और मनकों के आभूषण बनाना प्रमुख उद्योगों में शामिल था।


सिंधु घाटी सभ्यता की धर्म, समाज, और अर्थव्यवस्था ने उस समय की उन्नत सोच और तकनीकी समझ को दर्शाया। यह प्राचीन सभ्यता केवल शहरीकरण में अद्वितीय थी, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक पहलुओं में भी अग्रणी थी।

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