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वैदिक
काल (Vedic Period)
वैदिक काल
भारत के प्राचीन
इतिहास का एक
महत्वपूर्ण अध्याय
है, जिसे वैदिक
ग्रंथों के
माध्यम से जाना
जाता है। यह
काल दो भागों
में विभाजित है:
ऋग्वैदिक काल
(1500-1000 ईसा पूर्व)
और उत्तरवैदिक काल
(1000-600 ईसा पूर्व)। इस काल
का मुख्य स्रोत
चार वेद हैं:
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद
और अथर्ववेद। ऋग्वेद
इस काल का
सबसे प्राचीन ग्रंथ
है और इसे
ज्ञान का प्राथमिक
स्रोत माना जाता
है।
इस काल
में समाज पितृसत्तात्मक था, जिसमें
परिवार का मुखिया
पुरुष होता था।
समाज को चार
वर्णों में विभाजित
किया गया था:
ब्राह्मण, क्षत्रिय,
वैश्य और शूद्र।
इन वर्णों का
उल्लेख ऋग्वेद में
मिलता है। वैदिक
काल में जन
(गण) नामक इकाइयों
में लोगों का
समूह रहता था।
प्रमुख गणराज्य कुशीनगर
और श्रावस्ती थे।
राजाओं का चुनाव
किया जाता था
और राजा का
मुख्य कर्तव्य जनता
की रक्षा और
धर्म का पालन
करना था।
वैदिक काल
में आर्यों की
मुख्य आजीविका कृषि
थी। लोग मुख्यतः
जौ और गेहूं
की खेती करते
थे। कृषि के
अलावा पशुपालन भी
इस काल में
बहुत महत्वपूर्ण था।
गाय को धन
और समृद्धि का
प्रतीक माना जाता
था। व्यापार भी
इस समय प्रचलित
था और लोग
समुद्र मार्ग से
व्यापार करते
थे। इस काल
में मुद्रा का
उपयोग नहीं होता
था, बल्कि वस्तु
विनिमय प्रणाली (Barter System) प्रचलित थी।
धार्मिक दृष्टि
से वैदिक काल
में देवताओं की
पूजा की जाती
थी। ऋग्वेद में
प्रमुख देवताओं में
अग्नि, इंद्र और
वरुण का वर्णन
मिलता है। यज्ञ
और हवन इस
काल के मुख्य
धार्मिक अनुष्ठान
थे। इन अनुष्ठानों
में सामूहिक सहभागिता
होती थी। उत्तरवैदिक
काल में धर्म
में जटिलता बढ़
गई और कर्मकांड
अधिक महत्वपूर्ण हो
गए।
शिक्षा प्रणाली
भी इस काल
का एक महत्वपूर्ण
पहलू थी। गुरुकुल
में बच्चों को
वेद, व्याकरण, गणित
और युद्ध-कला
सिखाई जाती थी।
शिक्षक और शिष्य
के बीच संबंध
घनिष्ठ होते थे।
शिक्षार्थियों को
गुरुकुल में
कठोर अनुशासन का
पालन करना पड़ता
था।
वैदिक काल
में साहित्य और
संगीत का विकास
भी हुआ। सामवेद
को संगीत का
आधार माना जाता
है। वेदों के
अलावा ब्राह्मण, आरण्यक
और उपनिषद जैसे
ग्रंथ भी इस
काल में रचे
गए। यह काल
भारतीय दर्शन और
संस्कृति की
नींव रखता है।
वैदिक काल का आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण न केवल उस समय के समाज को संगठित करता था, बल्कि यह भारतीय सभ्यता के भविष्य के विकास का आधार भी बना। इस काल की प्रमुख विशेषताएं और इसकी घटनाएं आज भी भारतीय इतिहास में महत्व रखती हैं। सरकारी परीक्षाओं में इससे संबंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं, जैसे कि वेदों के प्रकार, प्रमुख देवता, समाज व्यवस्था, और अर्थव्यवस्था के पहलू। इसलिए यह विषय परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।