हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच संघर्ष का इतिहास | Humayun Aur Sher Shah Suri Ke Bich Sangharsh Ka Itihas

humayun aur sher shah
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हुमायूं: शेरशाह सूरी के साथ संघर्ष (Humayun: Struggle with Sher Shah Suri)

प्रिय छात्रों, आज हम मुगल साम्राज्य के दूसरे शासक हुमायूं और उनके शेरशाह सूरी के साथ संघर्ष के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। हुमायूं का शासनकाल (1530–1540, 1555–1556 ईस्वी) संघर्ष और चुनौतियों से भरा था। उन्हें न केवल अपने भाइयों से, बल्कि शेरशाह सूरी जैसे शक्तिशाली विरोधी से भी जूझना पड़ा। शेरशाह सूरी के साथ हुमायूं का संघर्ष मुगल साम्राज्य के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। तो चलिए, विस्तार से समझते हैं।


हुमायूं का परिचय | Humayun Ka Parichay


हुमायूं का पूरा नाम नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूं था। उनका जन्म 6 मार्च 1508 को काबुल में हुआ था। वह मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के बड़े पुत्र थे। 1530 ईस्वी में, बाबर की मृत्यु के बाद, हुमायूं ने मुगल साम्राज्य की गद्दी संभाली। हालाँकि, उनका शासनकाल संघर्ष और अस्थिरता से भरा था।


हुमायूं के शासनकाल की चुनौतियाँ | Humayun Ke Shasankal Ki Chunautiyan



हुमायूं के शासनकाल में कई चुनौतियाँ थीं:

1.  भाइयों का विद्रोह: हुमायूं के भाइयों, जैसे कामरान, हिंदाल, और अस्करी, ने उनके खिलाफ विद्रोह किया।

2.  शेरशाह सूरी का उदय: शेरशाह सूरी एक शक्तिशाली अफगान नेता थे, जिन्होंने हुमायूं के खिलाफ संघर्ष किया।

3.  प्रशासनिक कमजोरी: हुमायूं एक अच्छे सेनापति थे, लेकिन उनमें प्रशासनिक कौशल की कमी थी।


शेरशाह सूरी के साथ संघर्ष | Sher Shah Suri Ke Sath Sangharsh


हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच संघर्ष मुगल साम्राज्य के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह संघर्ष कई युद्धों और घटनाओं में विभाजित किया जा सकता है।


1. चौसा का युद्ध (1539 ईस्वी) | Chausa Ka Yuddh (1539 CE)

चौसा का युद्ध हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच हुआ।

इस युद्ध में हुमायूं की सेना को भारी नुकसान हुआ, और वह युद्ध के मैदान से भागने के लिए मजबूर हो गए।

हुमायूं ने गंगा नदी को पार करने का प्रयास किया, लेकिन वह डूबते-डूबते बचे।


2. बिलग्राम (कन्नौज) का युद्ध (1540 ईस्वी) | Bilgram (Kannauj) Ka Yuddh (1540 CE)

बिलग्राम का युद्ध हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच हुआ।

इस युद्ध में हुमायूं की सेना को फिर से हार का सामना करना पड़ा।

हुमायूं को भारत छोड़ना पड़ा, और वह ईरान चले गए।


3. शेरशाह सूरी का शासन | Sher Shah Suri Ka Shasan

शेरशाह सूरी ने हुमायूं को हराकर दिल्ली सल्तनत की स्थापना की।

उन्होंने एक मजबूत प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की और कई सुधार किए।


हुमायूं की वापसी और सत्ता की पुनः प्राप्ति | Humayun Ki Vapasi Aur Satta Ki Punah Prapti

1555 ईस्वी में, हुमायूं ने ईरानी शासक शाह तहमास्प की मदद से भारत वापसी की।

1. मच्छीवाड़ा का युद्ध (1555 ईस्वी) | Machhiwara Ka Yuddh (1555 CE)

हुमायूं ने मच्छीवाड़ा के युद्ध में अफगान सेना को हराया।


2. सरहिंद का युद्ध (1555 ईस्वी) | Sirhind Ka Yuddh (1555 CE)

हुमायूं ने सरहिंद के युद्ध में अफगान सेना को हराया और दिल्ली पर अधिकार कर लिया।


3. हुमायूं की मृत्यु | Humayun Ki Mrityu

1556 ईस्वी में, हुमायूं की मृत्यु एक दुर्घटना में हो गई।

उनकी मृत्यु के बाद, उनके पुत्र अकबर ने मुगल साम्राज्य की गद्दी संभाली।


हुमायूं और शेरशाह सूरी के संघर्ष का महत्व | Humayun Aur Sher Shah Suri Ke Sangharsh Ka Mahatva

हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच संघर्ष मुगल साम्राज्य के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। 

इस संघर्ष ने न केवल मुगल साम्राज्य की स्थिरता को प्रभावित किया, बल्कि इसने भारतीय इतिहास को भी गहराई से प्रभावित किया।

निष्कर्ष | Nishkarsh

हुमायूं का शासनकाल संघर्ष और चुनौतियों से भरा था। उन्हें न केवल अपने भाइयों से, बल्कि शेरशाह सूरी जैसे शक्तिशाली विरोधी से भी जूझना पड़ा। हालाँकि, उन्होंने अंततः सत्ता वापस प्राप्त की और मुगल साम्राज्य को पुनर्जीवित किया।

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